सोयाबीन में कुछ ऐसे तत्त्व पायें जाते है। जो कैंसर से बचाव का कार्य करते है। क्योकि इसमें कायटोकेमिकल्स पायें जाते है, खासकर फायटोएस्ट्रोजन और 950 प्रकार के हार्मोन्स। यह सब बहुत लाभदायक है। इन तत्त्वों के कारण स्तन कैंसर एवं एंडोमिट्रियोसिस जैसी बीमारियों से बचाव होता है। यह देखा गया है कि इन तत्त्वों के कारण कैंसर के टयूमर बढ़ते नही है और उनका आकार भी घट जाता है। सोयाबीन के उपयोग से कैंसर में 30 से 45 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
अध्ययनों से पता चला है कि सोयायुक्त भोजन लेने से ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का खतरा कम हो जाता है। महिलाओं की सेहत के लिए सोयाबीन बेहद लाभदायक आहार है। ओमेगा 3 नामक वसा युक्त अम्ल महिलाओं में जन्म से पहले से ही उनमें स्तन कैंसर से बचाव करना आरम्भ कर देता है।
जो महिलायें गर्भावस्था तथा स्तनपान के समय ओमेगा 3 अम्ल की प्रचुरता युक्त भोजन करती है, उनकी संतानों कें स्तन कैंसर की आशंका कम होती है। ओमेगा-3 अखरोट, सोयाबीन व मछलियों में पाया जाता है। इससे दिल के रोग होने की आंशका में काफी कमी आती है। इसलिये महिलाओं को गर्भावस्था व स्तनपान कराते समय अखरोट और सोयाबीन का सेवन करते रहना चाहियें।
कैंसर के रोगी जो केमोथेरेपी, रेडिएशन कराते है उन पर उनके दुष्प्रभाव-असहनीय दर्द, खून बहना, खून की कमी , थकान, वजन घटना, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, कब्ज , भूख की कमी, कमजोरी , सिर के बाल गिरना, निराशा, रोग की असाध्यता से मानसिक रूप से पड़ते है। इसके सेवन से इन सब से बचा जा सकते है।
सोयाबीन का दूध
डॉक्टरों का मानना है कि दवाओं से कोलेस्ट्राल पर काबू पाने से बेहतर है कि आप अपना खान-पान थोडा बदलें। जैसे- सोया प्रोटीन एलडीएल की मात्रा 14 फीसदी तक घटा सकते हैं। हर दिन 2 गिलास सोया का दूध पीना ही इसके लिए काफी है। इसके अलावा जौ के साबुत दानों में मौजूद रेशे जो कि दालों में भी मिलते हैं, एलडीएल की समस्या से निजात दिलाने में सहायक है। सोयाबीन दिल के स्वास्थ्य का पोषक है। रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन को खाने से लाभ होता है।
खोजों में यह पाया गया है कि सोयाबीन रक्तवसा को घटाता है और सीएचडी के वृद्धि के खतरे को बढ़ने नही देता। जो लोग रोजाना औसतन 47 ग्राम सोया प्रोटीन खाते हैं, उनकी पूर्ण रक्तवसा में 9 प्रतिशत कमी होती है। एलडीएल खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर प्राय: 13 प्रतिशत कम हुआ। एचडीएल अच्छा कोलेस्ट्रॉल मगर बढ़ा और ट्राइग्लीसेराइड्स घट कर 10 से 11 प्रतिशत कम हुआ। जिनके रक्तवसा के माप शुरू में ही अपेक्षाकृत अधिक थे, उनको आश्चर्यजनक रूप से लाभ हुआ।
सोयाबीन ही क्यों ?
सोयाबीन में प्रोटीन 40 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 24.6 प्रतिशत, नमक 48 प्रतिशत, तेल 20 प्रतिशत, कैल्शियम लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, फॉस्फोरस लगभग आधा ग्राम, लौह तत्त्व लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, विटामिन ए 710 अ.ई, विटामिन बी-1 730 माइक्रोग्राम, विटामिन बी-2 760 माइक्रोग्राम, नायसिन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और कैलोरी 432 होता है। सोयाबीन को हम सब्जी के रूप में काम में लेते हैं सोयाबीन प्रोटीन और आइसोफ्लेवोंस से भरपूर होता हैं। सोयाबीन प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं अगर रोज खाली पेट सोयाबीन का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। और शरीर फौलाद बन जाता हैं। रोज खाली पेट इसके सेवन से शरीर बन जाएगा फौलाद। आइये जानते है इसके फायदों के बारे में…
सोयाबीन से होने वाले 17 फायदे
मानसिक और शारिरिक विकास : शरीर को फौलाद की तरह मजबूत बनाने के लिए सबसे पहले हमारा दिमाग तेज होना चाहिए। लेकिन हम लोग यह नही जानते हैं, की अगर रोज खाली पेट सोयाबीन का सेवन किया जाए तो मानसिक संतुलन ठीक रहता हैं और दिमाग तेज होता हैं।
दिल सभी बिमारियों से आजादी : रोज सुबह खाली पेट सोयाबीन का सेवन करने से दिल के रोगों से छुटकारा मिल जाता हैं। क्यूंकि फौलादी शरीर पाने के लिए दिल मजबूत होना चाहिए और अगर सोयाबीन का सेवन किया जाएगा तो दिल सभी बिमारियों से आजाद रहता हैं।
लीवर के लिए : रोज सुबह खाली पेट सोयाबीन का सेवन करने से लीवर मजबूत होता हैं। क्यूंकि सोयाबीन में लेसीथिन पाया जाता है जो लीवर के लिए फायदेमंद है।
मानसिक रोगों में : सोयाबीन में फॉस्फोरस इतनी होती है कि यह मस्तिष्क (दिमाग) तथा ज्ञान-तन्तुओं की बीमारी, जैसे-मिर्गी, हिस्टीरिया, याददाश्त की कमजोरी, सूखा रोग (रिकेट्स) और फेफड़ो से सम्बन्धी बीमारियों में उत्तम पथ्य का काम करता है। सोयाबीन के आटे में लेसीथिन नमक एक पदार्थ तपेदिक और ज्ञान-तन्तुओं की बीमारी में बहुत लाभ पहुंचता है। भारत में जो लोग गरीब है। या जो लोग मछली आदि नही खा सकते है, उनके लिए यह मुख्य फास्फोरस प्रदाता खाद्य पदार्थ है। इसको खाना गरीबों के लिए सन्तुलित भोजन होता है।
कोलेस्ट्रांल को दिल की नलियों में जमने से रोके : सोयाबीन में 20 से 22 प्रतिशत वसा पाई जाती है। सोयाबीन की वसा में लगभग 85 प्रतिशत असन्तृप्त वसीय अम्ल होते हैं, जो दिल के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें ‘लेसीथिन’ नामक प्रदार्थ होता है। जो दिल की नलियों के लिए आवश्यक है। यह कोलेस्ट्रांल को दिल की नलियों में जमने से रोकता है।
खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करे : सोयाबीन खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए यह दिल के रोगियों के लिये फायदेमंद है। ज्यादातर दिल के रोगों में खून में कुछ प्रकार की वसा बढ़ जाती है, जैसे-ट्रायग्लिसरॉइड्स, कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल, जबकि फायदेमंद वसा यानी एचडीएल कम हो जाती है। सोयाबीन में वसा की बनावट ऐसी है कि उसमें 15 प्रतिशत सन्तृप्त वसा, 25 प्रतिशत मोनो सन्तृप्त वसा और 60 प्रतिशत पॉली असन्तृप्त वसा है। खासकर 2 वसा अम्ल, जो सोयाबीन में पायें जाते हैं। यह दिल के लिए काफी उपयोगी होते हैं। सोयाबीन का प्रोटीन कोलेस्ट्रल एवं एलडीएल कम रखने में सहायक है। साथ ही साथ शरीर में लाभप्रद कोलेस्ट्रॉल एचडीएल भी बढ़ाता है।
उच्च रक्तचाप : रोज कम नमक में भुने आधा कप सोयाबीन का 8 हफ्तों तक सेवन करने से ब्लड़प्रेशर काबू मे रहता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें कालीमिर्च भी डालकर सकते हैं। सिर्फ आधा कप रोस्टेड सोयाबीन खाने से महिलाओं का बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर कम होने लगता है। लगातार 8 हफ्ते तक सोयाबीन खाने से महिलाओं का 10 प्रतिशत सिस्टोलिक प्रेशर, 7 प्रतिशत डायस्टोलिक और सामान्य महिलाओं का 3 प्रतिशत ब्लडप्रेशर कम हो जाता है। तो आप भी सोयाबीन को 8 से 12 घण्टे पानी में भिगोकर रख दें और सुबह ही गर्म कर के खायें।
मस्तिष्क (दिमाग) के ज्ञान-तन्तुओं तथा लीवर (जिगर) में : सोयाबीन में लेसीथिन पाया जाता है जो मस्तिष्क (दिमाग) के ज्ञान-तन्तुओं तथा लीवर (जिगर) के लिए फायदेमंद है।
शरीर के विकास और बॉडी बनाने में : प्रोटीन शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। त्वचा, मांसपेशियां, नाखून, बाल वगैरह की रचना प्रोटीन से होती है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क (दिमाग), दिल, फेफड़े आदि मनुष्य शरीर के आंतरिक अंगों की रचना में प्रोटीन के स्रोत सोयाबीन, अंकुरित गेहूं, बिनौल का आटा, चना, मसूर, मटर, सेम तथा विभिन्न प्रकार की दालें, मूंगफली इत्यादि में है।
हड्डी के कमजोर होने पर : सोयाबीन हडि्डयों से सम्बन्धित रोग जैसे हडि्डयों में कमजोरी को दूर करता है। सोयाबीन को अपनाकर हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। अस्थिक्षारता एक ऐसा रोग है जिसमें हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं और उसमें फैक्चर हो जाता है। हडि्डयो में कैल्श्यिम की मात्रा कम हो जाती है।
रजोनिवृत्ति : महिलाओं में जब रजोनिवृत्ति (मासिकधर्म) होती है, उस समय स्त्रियों को बहुत ही कष्ट होते हैं। रजोनिवृत्त महिलाएं हडि्डयों में तेजी से होने वाले क्षरण से मुख्य रूप से ग्रसित होती है, जिसके कारण उन्हें आंस्टियो आर्थराइटिस बीमारी आ जाती है। घुटनों में दर्द रहने लगता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि मासिक धर्म बंद होने से एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है क्योकि सोयाबीन में फायटोएस्ट्रोजन होता है। जो उस द्रव की तरह काम करता है, इसलिए 3-4 महीने तक सोयाबीन का उपयोग करने से स्त्रियों की लगभग सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती है।
कमर का दर्द और थकान मिटाए : महिलाओ को सोयाबीन न केवल अच्छे प्रकार का प्रोटीन देती है बल्कि मासिकधर्म के पहले होने वाले कष्टों-शरीर में सूजन, भारीपन, दर्द, कमर का दर्द, थकान आदि में भी बहुत लाभ करती है।
पेट में कीड़े : सोयाबीन की छाछ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
मधुमेह (डायबिटीज ) : सोयाबीन मोटे भारी-भरकम शरीर वालों के तथा मधुमेह (डायबिटीज) वाले लोगों के लिए उत्तम पथ्य है। सोया आटे की रोटी उत्तम आहार है।
गठिया (जोड़ों का दर्द) : सोया आटे की रोटी खाने तथा दूध पीने से गठिया (जोड़ों का दर्द) रोग दूर होता है।
दूध को बढ़ाने के लिए : दूध पिलाने वाली माँ यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो बच्चे को पिलाने के लिए दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
मूत्ररोग : सोयाबीन का रोजाना सेवन करने से मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी का मूत्ररोग (बार-बार पेशाब के आने का रोग) ठीक हो जाता है।
सोयाबीन के हानिकारक प्रभाव :
गर्भधारण करने वाली स्त्रियों को सोयाबीन का प्रयोग बिलकुल नही करना चाहिए इससे होने वाली सन्तान पर बुरा असर पड़ता है।
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