चुरू
हमारे भारत में लड़कियों से ज्यादा इज्जत और मान लड़कों को दिया जाता है. शायद इसीलिए जिन माँ बाप के घर में लड़की जन्म ले लेती है, वह दुःख में घिर जाते हैं. इनमे उनका भी कोई कसूर नहीं है क्यूंकि हमारा समाज ही कुछ ऐसा है. इसलिए ना चाहते हुए भी बेटी एक डर और बोझ बन कर रह जाती है. कुछ लोग तो जन्म से पहले ही अपनी बच्ची को मार देते हैं. ऐसे में आये दिन बेटियों को लेकर नये नये मामले सामने आते ही रहते हैं. अभी बात कुछ दिन पहले की ही कर लीजिये जहाँ, घासला अगुणा के अशोक ने अपनी तीन दिन की मासूम बच्ची को पानी में डुबोकर मार डाला था. ऐसे ही और भी बहुत सारे केस हैं, जहाँ बेटियों कोअक्सर मौत की बलि चढना पढ़ता है.
लेकिन, ऐसे में हमारे सामने एक ऐसा मामला आया है, जिसको जान कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा. दरअसल, ये मामला है गाजूसर गांव के इंद्रजीत का.जो शनिवार सुबह तीन बेटियों के बाप बने जबकि, उनके घर में चार बेटियां पहले से ही थी. बेटी कितनी अनमोल होती है, कोई इनसे सीखे. चलिए जानते हैं इंदरजीत की इंसानियत की मिसाल…
आठवीं पास की सोच को सलाम
दरअसल, इस शनिवार को इंद्रजीत की पत्नी 43 वर्षीय संतोष कंवर को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी. जिसके चलते उन्हें पास के अस्पताल लेजाया गया. जानकारी के अनुसार डॉक्टर उर्मिला ने संतोष कंवर का प्रसव किया. जिसके बाद इंदरजीत को तीन बेटियां हुई. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इंदरजीत केवल आठवीं पास है और एक मामूली कारखाने में काम करता है. लेकिन, इंदरजीत की सोच हम सभी के लिए एक मिसाल है. घर में चार बेटियां होने के बावजूद अपनी तीन बेटियों के एक साथ जन्म होने से इंदरजीत के घर में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी. इंदरजीत के अनुसार जिस घर में बेटियां नहीं होती, वह घर-घर नहीं होता.
जानकारी के अनुसार इससे पहले इंदरजीत की पांच बेटियां थी जिनमे से एक भगवान को प्यारी हो गयी थी. जिसके बाद पूरा परिवार सदमे में चला गया था. लेकिन वो कहते हैं ना कि “भगवान जब भी देता है, छप्पड़ फाड़ के देता है”. शायद इसीलिए भगवान ने इंदरजीत को एक बेटी के बदले तीन और बेटियां दे दी. इसके इलावा इंदरजीत की बेटियों की जन्म की ख़ुशी केवल वही नहीं बल्कि, उसका पूरा गाँव मना रहा है.
लड़के के जन्म की ख़ुशी में मिठाई बांटते आपने बहुतों को देखा होगा. लेकिन, लड़की के जन्म पर शायद आपने किसी को इतनी ख़ुशी मनाते हुए नहीं देखा होगा. जानकारी के अनुसार इंदरजीत के दादा ने तीनो बच्चियों के जन्म की ख़ुशी में गाँव में मिठाईयां बाँट दी. इसके इलावा सरपंच के देवर ने तीनों बेटियों के लिए 2100 रुपए दिए. साथ ही घोषणा भी कर दी कि उनके कार्यकाल में ग्राम पंचायत में बेटियों के जन्म पर बेटी धन योजना के तहत 500 रुपए दिए जाएंगे.
जानकारी के अनुसार तीनो बेटियों के दादा रामसिंह का कहना है कि बेटी लक्ष्मी का रूप होती है अजुर इसलिए अपने साथ साथ घर में खुशियाँ और सोभाग्य लाती हैं. रामसिंह ने बताया कि अब उनके आंगन में सात बच्चियां खेलेंगी जिसको सोचकर ही वह बहुत खुश हैं. रामसिंह का मानना है कि आज के युग में बेटियां बोझ नहीं होनी चाहिए क्यूंकि अब बेटियां, बेटों से भी कहीं आगे निकल चुकी हैं. शायद इसीलिए उन्होंने पूरे गाँव में 11 किलो मिठाई बांटी. अगर ऐसी सोच हमारे हर भारतीय की हो जाये तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत बाकी देशों के मुक्काब्ले सबसे उन्नत होगा.
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