भारतीय नौसेना ने पुरुष से महिला बने नाविक को नौकरी से निकाल दिया है.
मनीष कुमार गिरी सात साल पहले एक पुरुष के तौर पर नौसेना में शामिल हुए थे. बीते साल अक्टूबर में उन्होंने अपना सेक्स चेंज करा लिया और महिला बनकर सबी नाम रख लिया.
बीबीसी से बात करते हुए सबी ने कहा, “मुझे लगता है कि मुझे सेक्स चेंज करवाने की वजह से निकाला गया है.”
सबी को दिए डिस्चार्ज नोटिस में कहा गया है, “आपकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है.”
अपनी प्रेस विज्ञप्ति में नौसेना ने कहा है कि सेक्स बदलवाकर मनीष गिरी ने नौसेना की नौकरी के लिए अपनी योग्यता खो दी है.

‘मनोचिकित्सा वार्ड में रखा गया‘
सबी का कहना है कि नौसेना ने उन्हें कई महीने तक मनोचिकित्सा वार्ड में भी भर्ती रखा था.
सबी कहती हैं, “मेरी सर्जरी दिल्ली में हुई थी. तब मैं छुट्टियों पर थी. जब मैं वापस लौटी तो मुजे इंफ़ेक्शन हो गया था, तब मुझे एक महीने तक नेवी अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में रखा गया था. जब इंफ़ेक्शन ठीक हो गया. उसके बाद लगभग पांच महीने तक मुझे अकेले मनोचिकित्सा वार्ड में रखा गया.”

कब महिला होने का अहसास हुआ?
सबी कहती हैं, “ये जेल जैसा था. उन्हें पता था कि मैंने सेक्स बदलवा लिया है और अब मैं पुरुष नहीं हूं फिर भी पुरुष गार्ड के साथ मुझे अकेले बंद रखा गया.”
सबी कहती हैं, “इस दौरान मैं बार-बार पूछती थी कि मुझे कब बाहर निकाला जाएगा. मैं अवसाद में थी. मुझे अवसाद के लिए दवाइयां लेनी पड़ रहीं थीं. मैं सोचती रहती थी कि मैंने क्या गलत किया है जो मेरे साथ ऐसा किया जा रहा है.”
जब सबी से पूछा गया कि कब पहली बार महिला होने का अहसास कब हुआ, तो उन्होंने बताया, “मुझे पहले भी ऐसा अहसास होता था लेकिन ये अहसास 2011 में बहुत ज़्यादा बढ़ गया. मैं सोचती थी कि ये क्यों हो रहा है और मैं क्या करूं?”
“सोशल मीडिया के ज़रिए मैं अपने जैसे कुछ दोस्तों से जुड़ी और उनसे मिलकर मुझे अच्छा लगा. मुझे लगा कि मैं अकेली नहीं हूं, मेरे जैसे और लोग भी हैं. उन दोस्तों ने मेरी मदद की और मुझे बताया कि सेक्स चेंज सर्जरी भी हो सकती है.”
वे आगे कहती हैं, “मैं कई बार नेवी के डॉक्टरों से मिली और अपनी समस्या बताई. मुझे कई बार मनोचिकित्सा वार्ड में रखा लेकिन वो मेरी समस्या का समाधान नहीं बता पाए.”

सबी बताती हैं, “मैं बिना छुट्टी लिए अपने दोस्तों के पास बीस दिनों के लिए चली गई थी. जब लौटी तो मुझे 60 दिनों तक हिरासत में रखा गया. नेवी ने मुझे फिर विशाखापटनम भेज दिया.”
“मैंने एक बार फिर अपने कमांडर को अपनी बात बताई और फिर मुझे मनोचिकिस्तक के पास भेज दिया गया. जब मुझे नौसेना से मदद नहीं मिली तो मैं बाहर के डॉक्टर के पास गई.”
सबी कहती हैं, “बाहर के डॉक्टरों ने बताया कि मुझे सेक्सुअल आईडेंटिटी डिसआर्डर है.”
सबी ने जब ये बात अपने परिजनों को बताई तो शुरू में उन्होंने भी साथ नहीं दिया. लेकिन जब सबी ने डॉक्टर से अपने परिजनों की बात कराई तब उनके समझ में आया.

परिवार ने किया स्वीकार
सबी कहती हैं, “न मैं कोई अपराधी हूं, ना ही मैंने कोई भी ग़लत काम किया है. मैं बस अपनी असली पहचान को बाहर लेकर आई हूं.”
सबी कहते हैं कि अब उनके परिवार ने उन्हें स्वीकार कर लिया है. वो कहती हैं, “जिस मां ने अपने बच्चे को नौ महीने पेट में रखा हो क्या वो कभी अपने बच्चे को भूल सकती है?”
सेक्स बदलवाने के बाद सबी जब दोबारा अपनी नौकरी पर लौटीं तो पहले छह महीने तक उन्हें अस्पताल में रखा गया. सबी आरोप लगाती हैं कि नौसेना ने उन्हें पागल साबित करने की कोशिश की लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें पागल घोषित नहीं किया.
अस्पताल से लौटने के बाद सबी को डेस्क पर काम दिया गया था.

नौकरी से निकाला गया
सबी को शुक्रवार को अचानक बताया गया कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. इससे पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था जिसका जवाब उन्होंने दे दिया था.
सबी कहती हैं, “मैंने सात साल वर्दी पहनकर देश की सेवा की है. लेकिन अब अचानक मैं बेरोज़गार हूं. मेरे जेंडर की वजह से मेरे पेट पर लात मार दी गई. मैं सरकार से गुज़ारिश करूंगी कि मेरे बारे में सोचा जाए. नौसेना में भी ऐसी कई जगह हैं जहां महिलाओं से काम कराया जाता है. वो मुझे ऐसा काम दे सकते थे लेकिन मुझे सीधे नौकरी से निकाल दिया गया है.”
सबी कहती हैं, “अगर ट्रांसजेंडरों के साथ ऐसे किया जाएगा तो वो क्या करेंगे? या तो सिग्नल पर भीख मांगेंगे या सेक्स वर्क करेंगे. बहुत सारे ट्रांसजेंडर सेक्स वर्क करते भी हैं. हमें मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए.”
न्याय के लिए लड़ूंगी
सबी अब अदालत जाकर न्याय मांगेंगी. सबी कहती हैं कि पहले वो सेना के ट्रिब्यूनल में जाएंगी और वहां से यदि न्याय नहीं मिला तो फिर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाएंगी.
सबी कहती हैं, “मैंने परीक्षा पास की, शारीरिक परीक्षा पास की फिर ये नौकरी हासिल की. फिर मेरे साथ ये समस्या हुई. ये तो प्राकृतिक है. ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है. मुझे इसके लिए सज़ा क्यों दी गई ये मैं समझ नहीं पा रही हूं.”
सर्जरी से पहले सबी भारतीय नौसेना के जहाजों पर भी तैनात रहीं थीं लेकिन सर्जरी के बाद उन्हें बीते एक साल से दफ़्तर में तैनात किया गया था.